म पंछी उनमढ़कढ़त गगन के

A vibrant illustration of free birds soaring in the sky, symbolizing freedom and joy, inspired by Indian poetry, with a backdrop of nature and open landscapes.

पकढ़शी की सढ़वतंतढ़रता Quiz

इस Quiz के माधढ़यम से आपको महादेवी वरढा दढ़वारा रचित "हम पंछी उनमढ़कढ़त गगन के" पाठ की गहराई में जाने का अवसर मिलेगा। यह Quiz आपको पकढ़शी के जीवन, उनकी इचढ़छाओं और सढ़वतंतढ़रता के परिपढ़रेकढ़षढ़य में सोचने के लिझ पढ़रोतढ़साहित करता है।

इस Quiz के मढ़खढ़य बिंदढ़:

  • महादेवी वरढा की रचनाझझ
  • पकढ़शी का जीवन और सढ़वतंतढ़रता
  • नैतिक सोच और कवि का संदेश
6 Questions2 MinutesCreated by FlyingBird47
Name:
€हम पंछी उनढ़मढ़कढ़त गगन के’ पाठ के रचयिता हैं
हादेवी वरढ़मा
िवमंगल सिंह ‘सढ़मन’
रढ़वेशढ़वर दयाल सकढ़सेना
वानी पढ़रसाद मिशढ़र
कढ़षी कढ़या चाहते हैं?
सढ़त रहना
ंधन में रहना
र पर मसढ़त रहना
ज़ाद रहना
कढ़षियों को कढ़या खाना सबसे अचढ़छा लगता है?
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कढ़षी कहाझ का जल पीना पसंद करते हैं?
ल का
दी-झरनों का
रढ़षा का
टोरी का
कढ़षी भूखे पढ़यासे मरने की बात कढ़यों कहते हैं ?
ंद पिंजरे में रहने के बदले वे मरना पसंद करते हैं
िंजरे में उनढ़हें कोई भोजन नहीं देता
िंजरे से निकलकर वे भोजन करने नहीं जा पाते
नमें से कोई नहीं
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िम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए-   हम सपरिवार रेलगाड़ी से मामाजी के घर जा पहुँचे। मामीजी हमें देखकर बहुत खुश हुईं और हम उन सबसे मिलकर। सुबह होते ही हम एक अलग, सपनों की दुनिया में पहुँच गए। वह दुनिया थी-अजंता की गुफाओं की दुनिया, क्योंकि अजंता की गुफाओं में दीवारों, छतों पर सुंदर चित्र बने हुए थे। जिस तरह की दुनिया हम आजकल देखते हैं-वहाँ के शहर, कस्बों की इमारतों की दीवारें आमतौर पर सपाट और कोरी होती हैं। फिर वह चाहे घर हो, ऑफिस या कोई अन्य जगह। शहरों में तो ज़्यादा-से-ज्यादा कोई चित्र टाँग दिया जाता है। घर में भी अगर बच्चे पेंसिल या रंगों से दीवार पर अपनी कलाकारी दिखाएँ तो उन्हें अकसर डाँट पड़ जाती है। एक बार रोहित को डाँट पड़ चुकी लेकिन अजंता की गुफाओं की दीवारों, छतों को देखकर ऐसा लगता है कि लोगों को कोरी दीवारें बिलकुल पसंद नहीं थीं। तब लोग अत्यधिक प्रकृति-प्रेमी थे।
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